देशभर में लाखों संविदा और आउटसोर्स कर्मचारी कई वर्षों से अपने वेतन और सेवाओं में स्थिरता की मांग कर रहे हैं। ये कर्मचारी सरकारी दफ्तरों, अस्पतालों, स्कूलों, पंचायत कार्यालयों और कई निजी संगठनों में अहम भूमिका निभाते हैं। लेकिन उन्हें स्थायी कर्मचारियों के मुकाबले कम तनख्वाह और बहुत कम सुविधाएं मिलती हैं।
नौकरी अस्थायी होने के कारण उनका भविष्य हमेशा असुरक्षित रहता है, और सामाजिक सुरक्षा जैसे लाभ भी अक्सर इनके हिस्से नहीं आते। महंगाई लगातार बढ़ रही है लेकिन वेतन में वृद्धि की रफ्तार धीमी है, यही कारण है कि यह मुद्दा लंबे समय से कर्मचारियों के बीच चिंता का विषय रहा है।
2025 में यह मामला और अधिक चर्चा में इसलिए आ गया क्योंकि केंद्र सरकार ने 8वें वेतन आयोग के गठन की घोषणा कर दी है। यह आयोग मुख्य रूप से केंद्र सरकार के लाखों स्थायी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के वेतनमान और भत्तों में बदलाव की सिफारिश करेगा।
इस बीच, संविदा कर्मचारियों की भी मांग तेज हो गई है कि उन्हें भी इस आयोग के दायरे में शामिल किया जाए। कर्मचारियों का कहना है कि वे स्थायी कर्मचारियों जितना ही समय और मेहनत लगाते हैं, तो फिर वेतन और सुविधाओं में इतना अंतर क्यों होना चाहिए।
Contract Employees Salary Hike
8वां वेतन आयोग 48 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और 57 लाख पेंशनभोगियों के लिए वेतनमान तय करेगा और इसकी सिफारिशें 2026 में लागू हो सकती हैं। फिलहाल इसमें संविदा कर्मचारियों का कोई जिक्र नहीं है, लेकिन कर्मचारी संगठनों ने केंद्र सरकार से मांग की है कि इस बार वह उनके साथ न्याय करे।
संगठन का तर्क है कि संविदा कर्मचारी भी शिक्षा, स्वास्थ्य, प्रशासन और विकास योजनाओं में उतना ही योगदान देते हैं, जितना स्थायी कर्मचारी। इनका वेतन अक्सर न्यूनतम मजदूरी के आस-पास होता है, जो बढ़ती महंगाई के अनुकूल नहीं है।
अगर सरकार इन्हें आयोग में शामिल कर लेती है, तो उनकी तनख्वाह में बड़ा इजाफा हो सकता है और पेंशन, स्वास्थ्य बीमा, महंगाई भत्ता जैसी सुविधाएं भी मिल सकती हैं।
राज्यों में उठाए जा रहे कदम
संविदा कर्मचारियों की समस्याओं को देखते हुए कई राज्यों ने अपने-अपने स्तर पर कदम बढ़ाए हैं। उत्तर प्रदेश में संविदा सेवा निगम बनाने की योजना सामने आई है, जिससे समय पर वेतन भुगतान के साथ EPF और ESI जैसी सामाजिक सुरक्षा सुविधाएं सुनिश्चित हो सकेंगी।
बिहार सरकार ने भी कई वर्गों में वेतन बढ़ाकर राहत दी है, जैसे रसोइयों का मानदेय ₹1650 से बढ़ाकर ₹3300 और चौकीदारों का वेतन ₹5000 से बढ़ाकर ₹10,000 किया गया है। मध्यप्रदेश में न्यूनतम वेतनमान संशोधित करने और संविदा कर्मचारियों को स्थायी करने पर विचार चल रहा है।
इन प्रयासों से यह संकेत मिलता है कि राज्य सरकारें संविदा कर्मियों की स्थिति सुधारने की ओर कदम बढ़ा रही हैं, लेकिन देशव्यापी समान नीति अभी दूर है।
केंद्र सरकार के वेतनमान और संभावित लाभ
अप्रैल 2025 से केंद्र सरकार ने विभिन्न श्रेणियों के लिए न्यूनतम मासिक वेतन तय किया है। इसमें अनस्किल्ड श्रेणी के लिए ₹20,930, सेमी-स्किल्ड के लिए ₹23,218, स्किल्ड के लिए ₹25,506 और हाईली स्किल्ड वर्कर के लिए ₹27,690 प्रति माह तय किया गया है।
कर्मचारी संगठन चाहते हैं कि संविदा कर्मचारियों के लिए भी यही वेतनमान लागू हो, ताकि श्रेणी के अनुसार उन्हें भी सम्मानजनक वेतन मिल सके और जीवन यापन आसान हो।
इसके अलावा, इस बार फिटमेंट फैक्टर को 2.85 से बढ़ाकर 3.0 करने की मांग भी की जा रही है। अगर ऐसा हुआ तो न्यूनतम वेतन ₹41,000 से बढ़कर लगभग ₹51,000 प्रति माह हो सकता है। संविदा कर्मचारियों के लिए यह परिवर्तन उनके आर्थिक जीवन में बड़ा बदलाव लेकर आएगा और स्थिरता प्रदान करेगा।
आयोग में शामिल होने के फायदे
अगर संविदा कर्मचारियों को 8वें वेतन आयोग में जगह मिलती है तो उन्हें स्थायी कर्मचारियों जैसी तनख्वाह, पेंशन, चिकित्सा भत्ता, महंगाई भत्ता, वार्षिक वृद्धि और प्रमोशन के अवसर भी मिलेंगे।
इससे न केवल उनका आर्थिक स्तर सुधरेगा बल्कि नौकरी की स्थिरता और सामाजिक सुरक्षा भी मजबूत होगी। स्वास्थ्य बीमा और सेवानिवृत्ति के बाद ग्रेच्युटी जैसी सुविधाएं मिलने से उनके परिवार भी सुरक्षित रहेंगे।
भविष्य की दिशा और चुनौतियां
हालांकि सरकार की ओर से अभी इस मांग पर कोई स्पष्ट निर्णय नहीं आया है, लेकिन चर्चा जारी है। कर्मचारियों को सलाह दी जा रही है कि वे अपने नियुक्ति पत्र, वेतन पर्ची, पहचान पत्र और बैंक स्टेटमेंट जैसे दस्तावेज संभालकर रखें। साथ ही संगठन के माध्यम से अपनी बातें सरकार तक पहुंचाते रहें, ताकि ताकतवर सामूहिक आवाज से फैसला जल्द हो सके।
निष्कर्ष
संविदा कर्मचारियों का मुद्दा अब केवल राज्य या किसी खास विभाग तक सीमित नहीं रह गया, बल्कि यह राष्ट्रीय बहस का हिस्सा बन चुका है। 8वें वेतन आयोग में शामिल होने की मांग अगर पूरी हो जाती है, तो लाखों संविदा कर्मचारियों के जीवन में बड़ा बदलाव आएगा।
बेहतर वेतन, सामाजिक सुरक्षा और स्थिरता उन्हें एक सम्मानजनक जीवन दे सकती है। अब सबकी नज़र इस बात पर टिकी है कि केंद्र सरकार आने वाले महीनों में इस मुद्दे पर क्या फैसला लेती है।