अगर आप बैंक में फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) करवाते हैं और ब्याज की आय पर कटने वाले टैक्स से परेशान रहते हैं, तो आपके लिए अच्छी खबर है। वित्त वर्ष 2025-26 में केंद्र सरकार ने TDS यानी टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स के नियमों में बड़ा बदलाव किया है, जिससे निवेशकों को पहले से ज्यादा राहत मिलेगी।
अब फिक्स्ड डिपॉजिट पर ब्याज की टैक्स-फ्री सीमा बढ़ा दी गई है, जिससे आम और वरिष्ठ नागरिक, दोनों को अपने ब्याज का बड़ा हिस्सा बिना किसी कटौती के मिलेगा। इस बदलाव से लाखों निवेशकों के लिए बचत में सीधा इजाफा होगा।
पहले ब्याज की थोड़ी सी आय होते ही बैंक उसमें से TDS काट लेते थे, जिसके कारण असल आय कम हो जाती थी और कई लोगों को रिफंड पाने के लिए इनकम टैक्स रिटर्न में अतिरिक्त प्रक्रिया करनी पड़ती थी। नई व्यवस्था में यह परेशानी काफी हद तक खत्म हो जाएगी।
सरकार का कहना है कि इस कदम से छोटे और मध्यम निवेशकों के साथ-साथ वरिष्ठ नागरिकों को भी आर्थिक सुरक्षा मिलेगी। साथ ही यह बदलाव बचत को प्रोत्साहित करने और बैंकिंग व्यवस्था में विश्वास बढ़ाने में मदद करेगा।
TDS New Rule 2025
नई व्यवस्था के तहत अब सामान्य करदाताओं के लिए FD ब्याज पर TDS कटने की सीमा ₹40,000 से बढ़ाकर ₹50,000 कर दी गई है। यानी अगर आपके सभी बैंकों से मिलने वाला कुल वार्षिक ब्याज ₹50,000 या इससे कम है, तो बैंक आपसे कोई TDS नहीं काटेंगे।
वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह सीमा पहले ₹50,000 थी, जिसे बढ़ाकर ₹1,00,000 कर दिया गया है। इसका मतलब है कि अगर कोई वरिष्ठ नागरिक अपनी फिक्स्ड डिपॉजिट से साल में ₹1 लाख रुपये या उससे कम का ब्याज कमाता है, तो उस पर कोई TDS नहीं लगेगा।
यह बदलाव 1 अप्रैल 2025 से लागू हो गया है। इससे पहले ₹40,000 या ₹50,000 (सीनियर सिटीजन) की सीमा पार होते ही बैंक ब्याज पर 10% TDS काटने लगते थे, चाहे आपकी कुल कर योग्य आय हो या नहीं।
यह बदलाव क्यों जरूरी था?
पिछले कुछ वर्षों में FD की ब्याज दरें बढ़ी हैं, लेकिन महंगाई और कर के कारण निवेशकों को वास्तविक लाभ कम मिल रहा था। पुराने नियमों में ब्याज की सीमा काफी कम थी, जिसके कारण छोटे निवेशकों का भी ब्याज TDS कटने की सीमा पार कर जाता था।
इससे सबसे ज्यादा परेशानी उन लोगों को होती थी, जिनकी कुल आय कर योग्य नहीं थी, पर TDS कटने के कारण उन्हें टैक्स रिफंड के लिए लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता था।
सीनियर सिटीजन के लिए यह और भी महत्वपूर्ण है क्योंकि वे अक्सर अपनी रिटायरमेंट सेविंग FDs में रखते हैं और मासिक खर्च उसी ब्याज से पूरा करते हैं। अब उन्हें ₹1 लाख तक बिना TDS के ब्याज मिलेगा, जो उनकी आय और खर्च की स्थिरता सुनिश्चित करेगा।
TDS की गणना अब कैसे होगी?
बैंक अब ग्राहकों की एक वित्तीय वर्ष में मिलने वाली कुल FD ब्याज आय का हिसाब रखेंगे। यदि कुल ब्याज राशि नई सीमा से कम है, तो TDS नहीं काटा जाएगा। लेकिन यदि राशि सीमा पार करती है, तभी 10% TDS लागू होगा।
ध्यान रहे, यदि आपने PAN बैंक को नहीं दिया है या आपके रिकॉर्ड में गलत है, तो TDS काटते समय 20% की उच्च दर लागू हो जाएगी। इसलिए निवेशकों को सुनिश्चित करना होगा कि उनका PAN सही ढंग से बैंक में अपडेट हो।
TDS से बचने के उपाय
अगर आपकी कुल वार्षिक आय कर योग्य नहीं है और आप TDS कटने से बचना चाहते हैं, तो आपको बैंक में फॉर्म 15G (सामान्य नागरिक) या फॉर्म 15H (वरिष्ठ नागरिक) जमा करना चाहिए। यह घोषणा होती है कि आपकी कुल आय कर योग्य सीमा से कम है, जिसके आधार पर बैंक आपके ब्याज से TDS नहीं काटेंगे।
ये फॉर्म बैंक की ब्रांच में जाकर या ऑनलाइन नेट बैंकिंग/मोबाइल ऐप के जरिए भी जमा किए जा सकते हैं। सुनिश्चित करें कि इन्हें हर वित्तीय वर्ष की शुरुआत में अपडेट कर दें।
निवेशकों के लिए फायदे
इस नियम परिवर्तन से छोटे और मध्यम निवेश योग्य रकम रखने वाले ग्राहकों को सबसे ज्यादा फायदा होगा। उदाहरण के लिए, पहले एक सामान्य निवेशक के FD ब्याज पर ₹45,000 आते थे, तो भी TDS लगता था अगर यह सीमा पार होती, लेकिन अब ₹50,000 तक छूट है। सीनियर सिटीजन के लिए तो लाभ दोगुना है, क्योंकि वे ₹1 लाख तक के ब्याज पर TDS कटौती से मुक्त हैं।
इससे उनकी वास्तविक आय बढ़ेगी, पब्लिक सेक्टर बैंकों और निजी बैंकों में FD निवेश को बढ़ावा मिलेगा और लोग लंबी अवधि की बचत योजनाओं की तरफ भी रुख करेंगे।
निष्कर्ष
नए TDS नियम के तहत अब सामान्य निवेशकों को ₹50,000 और वरिष्ठ नागरिकों को ₹1,00,000 तक की FD ब्याज आय पर कोई TDS नहीं देना होगा। यह बदलाव 1 अप्रैल 2025 से लागू है और लाखों लोगों के लिए सीधी बचत का कारण बनेगा।
निवेशक इस अवसर का लाभ उठाने के लिए अपने बैंक में PAN अपडेट करवाएं, जरूरत पड़े तो फॉर्म 15G या 15H भरें और FD निवेश का सही प्रबंधन करें। यह कदम निवेशकों की आमदनी को स्थिर और टैक्स बोझ को हल्का करने की दिशा में एक सकारात्मक बदलाव है।